Sunday, January 8, 2017

योग से उच्च रक्त चाप को कैसे करे नियंत्रित



सरल योगिक क्रियाओ से कर सकते हैं उच्च रक्त चाप को कम और नियंत्रित
जानिए क्या हैं वो सहज क्रियाएँ ।
मेरा नाम विक्रांत सावंत हैं| आपने इस वीडियो पर क्लिक किया हैं क्योकिन या तो आप या आपके घर मैं आपकी koi परिवारज्न उउच
रक्ता छाप से घ्रस्त हैं|
और आप इसको नैसर्गिक पधती के उपयोग से नियन्त्रण मैं लाना चाहते हैं| सोवभग्या वश योग मैं ऐसे कई क्रियाँ हैं जिनका अगर सही रूप say उपयोग kare तो उउच रक्त चाप को बड़े ही सहजता से नियंत्रण मैं लाया जा सकता हैं| मैं जो आपको अभी प्राणय्याम बताने जा रहा हू वो ना केवल आपका रक्त चाप kam karega, parantu uusay नियंत्रण main bhi rakhega|


यह प्राणायाम आप प्रति दिन केवल २ से ३ बार करे और इनको करने मैं आपका केवल ५ से ७ मिनिट्स का समय लगेगा| यह आप अपने दफ्तर ,घर या यात्रा करते समये भी सरलता से कर सकते हैं|
इसका फल स्वरूप यह होगा की आप आपने रक्ता छाप को बड़े ही सहजता से नियंत्रण मैं laa सकते हैं|

परंतु उसे पहले मैं आpको रक्त छाप क्या होता हैं इसका वीवर्ण संक्षेप रूप मैं बताना चाहता हू|

आपका हृदय दिन के २४ घंटे कार्यवश रहता हैं| वह अषूध रक्त को शूध करके आपके नाड़ी मैं संचालित करता रहता हैं| रक्त के नाड़ी मैं जोर को रक्त छाप कहते हैं|
एक सामने मनुष्या का रक्ता छाप १२०/८० इस श्रेनी के andar रहता हैं| परंतु जब यह दबाव १४०/९० से अधिक हो जाता हैं और वह साधारंता इसी श्रेनी मैं हो तो उस व्यक्ति को रक्त छाप से ग्रहस्त समझा जाता हैं|

आपका हृदय जब संकुचित होता हैं तब रक्त छाप मैं ऊच क्रमॅं|क को स्यस्टोलिक ज़ोर कहा जाता हैं? नीचे वाले ज़ोर को डियस्टोलिक कहते हैं जब आपका हृदय फूलता हैं|


उच्च रक्त चाप होने के कई कारण हो सकते हैं । इनमैं से कई हमे पता हैं और कई कारन ऐसे भी हैं जो आप नहीं जानते ।
जिन कारणों को हम जानते हैं उनमें से कुछ हैं |


१-रक्त की मोटाई
२-रक्त की मात्रा का शरीर मैं बड़ना
३ - ह्रदय से रक्त ज्यादा मात्रा मैं जाना
४ - नाड़ियो का कठोर हो जाना
५ - खराब कोलेस्ट्रॉल
६ - तनाव
७-व्यायाम की कमी
८-नकारात्मक विचार

९-शारिरिक कार्यहीन जीवनशैली
१० - अत्यधिक सोच

इन कारणों के अतिरिक्त जो कारन हैं वो आपका ;

अस्वस्तिक भोजन जिसमें आप ज्याता मात्रा मैं नमक का उपयोग करते हैं ।
ज्यादा तेल और अजीनो मोटो का उपयोग

यह भी रक्त चाप मैं वृद्धि का एक बहुत अभिन कारन होता हैं।

इसके साथ अगर आप के जीवन शैले मैं ज्यादा मात्रा मैं मदिरा /शराब का सेवन karte hain , tho vo भी हानिकर होता है ।
तम्बाखू और ध्रूम्रपान का सेवन भी रक्त चाप बढ़ाता हैं ।

यह ४ सहज प्राणिक tarike कौनसे हैं । चलिए देखते हैं । जैसे मैंने बताया यह इतनी सहज हैं , इनहे आपको दिन मैं केवल २ से ३ बार करना हैं ।
इनको करने मैं आपका ज्यादा से ज्यादा ५ से ७ मिनिट का समय लगेगा ।
आपको केवल इतना याद रखना हैं की आप इस पूरे प्राणयाम को जिस तरह इस विडियो मैं दिखा गया हैं आप उसे वैसे ही करे ।
पहला प्रणयaam हैं

सहज प्राणायाम
चलिए शुरुआत करते हैं । आपकी रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुआ आपको आराम से कुरसी या ज़मींn पर चटाई par बैठना हैं ।
आप आपके एक रुमाल या छोटे टॉवल को दिखाए गए पद्धति से तय कर ले । इस तय किये हुआ टॉलये को आप आपने ठोड़ी
और कॉलर बोन के बिच इस तारा रखे ।
आपको ज्ञान मुद्रा अपनी पहली ऊँगली और अंगूठे को मिलाकर बनानी हैं । आप अपने सर को निचे की और मोड़ ला , जहा आपकी ठोडी तोलिये पर और तौलिया आपके कालर बोन पर लगे. इस स्थिति मैं आप नाक से स्वासा lay।
aपने फेफड़े पूरी तरह से सास से भर ले । उसके बाद, सास को बेगैर छोड़े सर ऊपर उठा ले । उसके बाद, सास, को आपने मुँह से धीमे गति से , आराम से हलके हलके छोड़े । यह प्रक्रिया आप १० बार, बड़े ही आराम से और पुरे मन से करे । ध्यान रहे की आप सर उपर और निचे के और लेते समाये आप बिलकुल सास नहीं लगे । स्वास केवल नाक से और जालंधर स्थिति मैं ही lengay और स्वाश केवल आपने मुह से ही छोड़ेंगे ।

चंद्र भेदना प्राणायाम
इसमें आप आपने पहली दो उंगलियो को भौंहे के बीच मैं रखे और एक नीम्न दबाव रखे । आपकी ३ और ४ ऊँगली को आप बाएं नथना ५० प्रतिशत तक बंद रखे । फिर आपके केवल aपने बाएं नथने से स्वाश लगे और दाए से छोड़ेंगे । यह क्रिया आप पूरे १० बार करे। आपने फaeफड़े पूरी तरह से भरने हैं जब आप सास ले ।


भ्रामरी प्राणायाम
इसमें आप अपने हाथो को सर पर इस तारा रखे
फिर आप अपने अंगूठे से आपने कानो को पुरी तरह बंद कर ले । फिर आप आपने तय किये हुआ तौलिये को अपनी टोडी और कालर बोन पर रक् ले. । आंखे बंद कर , आप अपने जबड़े को

ढीला छोड़ दे । फिर धीमे नाक से सास ले और फिर "अम " यह ध्वनि को अपने नाक से banaye । बढे ही धीमे और सहजता से यह प्राणायाम करे । १० बार करे ।
संभावी मुद्रा
इस मुद्रा मैं आप आपने दोनों हथेलियों को कुछ इस प्रकार आपने चेहरे पर रखते हैं ।
आपने १ ऊँगली को चक्षु कक्ष अस्थि याने (ऑय सॉकेट ) मैं उप्पेर रखे, २ ऊँगली को पलख पर रखे, ३ naak को ५०% तक bandh करे, ४ ऊँगली को होंटो के बहुत पास रखे । ५ ऊँगली , याने आपने अंगूठे को कान पर रक् कर बंद कर दे, उसके बाद आप धीमे गति से सास ले और छोड़े । यह मुद्रा भी आप केवल १०बर करे ।

यह सरे प्राणायाम आपकay रक्त चाप के लिए बहुत उपयोगी होंगे ।

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धन्यवाद्

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